हमारी संस्कृति
October 28, 2023
अर्चना कोहली 'अर्चि' / September 23, 2024
मौन कर्म की साधना
नहीं शिकन है माथ पर, करें साधना मौन।
संतति खातिर सब सहें, समझे उनको कौन।।
अनुशासन के पाश से, कसते सदा लगाम।
मिली दिशा उनसे हमें, कहाँ उन्हें आराम।।
मेरुदंड परिवार के, होते प्यारे तात।
घूँट जहर का वे पिएंँ, झेले हर आघात।।
उलझन में जब हम फँसे, उनको पाया पास।
कहलाते वटवृक्ष से, भरे हृदय विश्वास।।
सैर करें कंधे सदा, पड़ते छाले पाँव।
बैठ पीठ हम कूदते, उनसे ही हो ठाँव।।
श्रीफल से लगते पिता, मधुर- सख्त व्यवहार।
स्थान गगन से उच्च है, उनसे ही परिवार।।
कर्मवीर बनकर खड़े, रखते सबका ध्यान।
पथ में बिखरे शूल हैं, फिर भी मुख मुसकान।।
तपें संघर्ष धूप में, अडिग रहें चट्टान।
भरते हममें हौसला, मत करना अपमान।।
दिया खुला आकाश है, झुके पीठ है आज।
जिनसे अब पहचान है, मत करना नाराज।।
छत्रछाया में है खुशी, दुख जाते हैं भाग।
न्योछावर निज सब खुशी,मत भूलो त्याग।।
अर्चना कोहली 'अर्चि'
नोएडा (उत्तर प्रदेश)
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